जगदीश राय कुलरियाँ
मेरी फेसबुक की फ्रेंडलिस्ट में औरों के अतिरिक्त मेरी छात्राएँ भी शामिल हैं। वे ऑन लाइन कभी-कभार मुझसे मार्गदर्शन भी प्राप्त करती रहती हैं। अभी मैने फेसबुक ऑन की ही है कि फटाफट अपडेट्स आने शुरू हो गए। मेरी एक छात्रा रिंपी ने आज फिर अपनी प्रोफाइल-फोटो बदल दी है। सौभाग्य से वह ऑन लाइन भी है।
मैसेज आता है—‘नमस्कार
सर!’
‘नमस्कार! क्या
बात आज फिर फोटो चेंज कर डाली, किसकी है यह?’ मैने पूछा।
‘सर, हीरोइन है,
कैटरीना कैफ।’
जवाब पढ़ते ही
सिर घूमने लग जाता है कि आजकल के बच्चों को क्या हो गया है?
मैं फिर पूछता
हूँ—‘बेटा, इसकी फोटो क्यों लगाई है?’
‘सर, कोई हमारी
फोटो का मिसयूज न कर ले, इसलिए लगाई है।’—उसने लिखा है।
‘वह तो ठीक है
बेटे, मगर आप सिर्फ एक्ट्रेस की फोटो ही क्यों लगाते हो? मदर टैरेसा और किरण बेदी
की क्यों नहीं?’
मेरे इतना लिखते
ही रिंपी ऑफ लाइन हो गई।
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