Tuesday 30 June 2009

वापसी



श्याम सुन्दर अग्रवाल

अपने काम से थोड़ा समय निकाल कर, घर पर ज़रूर होकर आना। मम्मी का हालचाल पूछना और अगर रात रुकना ही पड़े तो घर पर ही ठहरना।पत्नी ने सफर के लिए तैयार होते पति से कहा।

कोशिश करुंगा,कहते हुए वह मन ही मन हँस रहा था कि पगली तेरे मायके तेरी छोटी बहन सुमन से मिलने ही तो जा रहा हूँ। सरकारी काम का तो बहाना है, दफ्तर से तो छुट्टी लेकर आया हूँ।

ड्रैसिंग-टेबल के आदमकद शीशे के सामने खड़े हो उसने एक बार फिर से स्वयं को निहारा। फिर मन ही मन कहा, ‘सुमन, उम्र में तो मैं ज़रूर तुमसे सत्रह वर्ष बड़ा हूँ, पर देखने में तुम्हारा हमउम्र ही लगता हूँ।’

अपने सिर पर चमक आए एक सफेद बाल को उसने बड़ी कोशिश के बाद उखाड़ फेंका तथा बालों को फिर से संवारा। फिर चेहरे को रुमाल से पोंछता हुआ वह पत्नी के सामने जा खड़ा हुआ, कमला, देखने में मैं सैंतीस का तो नहीं लगता।

इस सूट में तो तुम खूब जँच रहे हो। सैंतीस के तो क्या, मुझे तो पच्चीस के भी नहीं दीखते।पत्नी ने प्यार भरी नज़र से देखते हुए कहा तो वह पूरी तरह खिल उठा।

रेलवे स्टेशन पर पहुँच कर उसने बुकस्टाल से एक पत्रिका खरीदी और गाड़ी में जा बैठा। भैया, जरा उधर होना।लगभग पचास वर्षीय एक औरत ने उससे कहा तो उसका मुख कसैला हो गया।

गाड़ी चली तो उसने पत्रिका खोल कर पढ़ना चाहा, लेकिन मन नहीं लगा। उसका ध्यान बारबार सामने बैठी सुंदर युवती की ओर चला जाता। युवती को देख उसकी आँखों के सामने सुमन का सुंदर हँसमुख चेहरा घूम गया। बीस वर्षीय गुलदाउदी के फूल-सी गदराई सुमन। सुमन को लुभाने के लिए ही तो उसने ससुराल के नज़दीक ट्रांसफर करवाया। और सरकारी काम के बहाने वहाँ महीने में एक चक्कर तो लगा ही आता है।

अब तो उसने नए फैशन के कपड़े सिलवाए हैं, बालों को सैट करवाया है। सिर में से सभी सफेद बाल उखाड़ फेंके हैं। अब तो वह पूरी तरह नवयुवक दीखता है। अब की बार वह सुमन को ज़रूर पटा लेगा–इस विश्वास के साथ ही वह न जाने किन ख्यालों में खो गया।

अंकल, जरा मैगजीन देना,सामने बैठी युवती ने उसकी तंद्रा को भंग किया।

उसके दोनों हाथ एकदम सीट पर कसे गए, मानो अचानक लगे झटके से नीचे गिर रहा हो। युवती को पत्रिका थमाते हुए उसकी नज़रें झुकी हुईं थीं। पता नहीं अचानक उसे क्या हुआ, अगले ही स्टेशन पर उतर कर वह घर के लिए वापसी गाड़ी में सवार हो गया।

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1 comment:

Udan Tashtari said...

लड़की ने सही औकात याद दी ..धरातल पर लौट आये और घर लौट चले. अच्छी कथा.