सुखदेव
सिंह शाँत
एक छोटे से बच्चे
ने ईंट उठा कर गली में जा रहे कुत्ते के पिल्ले के दे मारी और ऊँची आवाज़ में
बोला, “तेरी माँ की…चल दौड़ यहाँ
से!”
एक घर के आगे बैठी तीन पड़ोसनों ने बच्चे के मुख से इतनी
गंदी गाली सुन कर मुँह में ऊंगलियाँ दे लीं।
एक औरत ने बच्चे को अपने पास बुलाया।
“अरे बात सुन! कहाँ से सीखी तूने ये गाली?”
“बस सीख ली।” बच्चा मचलता हुआ बोला।
“बता तो सही। हमें भी पता चले कि कौन सिखाता है तुझे ये
गालियाँ?”
उस औरत ने फिर से ज़ोर डालते हुए पूछा।
बच्चा बोला, “बस! एक दिन सब्जी में नमक कम था, पापा ने मम्मी को यही गाली दी थी। चाचा किसी
से लड़ रहे थे तो यही गाली निकाल रहे थे। मुझे याद हो गई।
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