अमृत लाल मन्नन
रामलाल अपने दोस्त के फोन द्वारा मिले संदेश अनुसार उसे डॉ. राजेश के क्लिनिक पर मिलने के लिए तैयार होने लगा। वह सोच रहा था कि चमन लाल को कैसे ज़रूरत पड़ गई यहाँ? उसका तो अपना बड़ा बेटा इस समय एम.बी.बी.एस के फाइनल में पढ़ता है।
चमन लाल उसका बचपन का दोस्त है। उसने कारोबार शुरू करने के बाद यह तय किया कि वह दोनों बेटों को डॉक्टर बनाएगा। उसका विश्वास था कि डॉक्टरी के व्यवसाय में ही सबसे अधिक लाभ है। दो बेटे डॉक्टर, दो बहुएँ डॉक्टर, बड़ा-सा नर्सिंग-होम और फिर पैसों की बरसात। इसलिए उसने शुरू से ही बेटों को पढ़ाई के सिवा कुछ नहीं करने दिया। स्कूल, पढ़ाई, ट्यूशनें, पढ़ाई। और पहुँचा दिए दोनों बेटे मैडीकल कालेज।
रामलाल जब डॉ. राजेश के क्लिनिक पर पहुँचा, तब चमन लाल बाहर ही उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। रामलाल ने मिलते ही बेटों का हाल पूछा।
चमन लाल ने कहा, “क्या बताऊँ, यार! बड़ा बेटा आखरी साल में फेल हो गया। चलो वह भी कोई बात नहीं। पर उसका तो मन ही उचाट हो गया पढ़ाई से।”
“तूने पढ़ाया भी तो बहुत है उसे। चलो कोई बात नहीं।” राम लाल ने उसे ढाढ़स बंधाया।
“पढ़ता तो है, पर अब साहित्य की किताबे पढ़ता है। कहता है मैं कहानियाँ लिखूंगा और पता नहीं क्या कुछ…।”
“चल चिंता न कर ज्यादा। अच्छा यह बता आज यहाँ कैसे आया?”
“वही तो तुझे बता रहा हूं। अपने डॉक्टर को ही लाया हूं दिखाने।”
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