Monday, 11 August 2014

उदास दिल



श्याम सुन्दर दीप्ति (डॉ.)


दिल की ताकत तो दोस्तों से थी। दोस्त जो उसे एक मिनट भी खोए बिना अस्पताल ले आए थे।
“…सही वक्त पर तुम्हारे दोस्त ले आए तुम्हें हमारे पास। हार्ट की एक नाड़ी तो पूरी ही ब्लाक हो गई थी। पेस-मेकर से अब आपको कोई तकलीफ नहीं रहेगी। उसी तरह के हो गए हो, बिल्कुल एकदम जवानों की तरह।डॉक्टर ने जोजी के कँधे पर हाथ रख, हँसते हुए कहा था।
दोस्त ही हैं मेरा सब कुछ।जोजी से बस इतना ही बोला गया था।
उनकी दुआओं ने बचा लिया है तभी तो…और हाँ, डॉक्टर ने बात को नया मोड़ देते हुए कहा, कुछ सावधानियाँ ज़रूरी हैं। किसी ऐसे काम को हाथ में मत लेना, जिससे बिजली का करंट लग सके। बिजली की तारों से दूर ही रहना है।यह हिदायत उसने बहुत ज्यादा गौर से नहीं सुनी थी। बिजली से वैसे ही उसे बहुत डर लगता था।
सबसे ज़रूरी बात है कि किसी से गले नहीं मिलना और…डॉक्टर ने हँसते हुए कहा, इन दोस्तों से अब बस दूर से ही सलाम। यह बात बिल्कुल नहीं भूलनी। पक्की गाँठ बाँध लो।
जोजी ने कुछ नहीं कहा था। सोचता रहा था। जिन दोस्तों ने बचाया, उनसे दूर से ही सलाम! गले नहीं मिलना। अपने तो सभी दोस्त गले ही मिलने वाले। कसकर गले मिलना और फिर जमीन से दो-दो फुट ऊपर उठाने वाले।
अरे! अब कैसे सोया पड़ा है। आपरेशन हो गया तेरा तो। सुना है, नया दिल डाल दिया। आदमी जवान हो जाता है आपरेशन के बाद। उठ खड़ा हो, तुझ से तो गले मिले मुद्दत हो गई जैसे।उसके जिगरी दोस्त दिलबर ने बाँहें फैलाते हुए कहा।
‘डॉक्टर कहता ही था कि बस उसी तरह के जवान हो गए हो’– वह सोच में उसी तरह डूबा रहा, जैसे उसे अपने दोस्त दिलबर की आवाज सुनाई ही न दे रही हो।
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