जसबीर
ढंड
वे तीन बहनें
हैं। पिछले दिनों बड़ी वाली का पति अचानक गुज़र गया। सुबह अस्पताल में दाखिल
करवाया और शाम को पूरा हो गया। उसी समय रिश्तेदारों को फोन कर दिए गए। रिश्तेदार
मुँह-अँधेरे ही घरों से चल पड़े।
दोनों बहनें व उनके पति पहुँच गए थे। घर बहुत छोटा-सा था।
जहाँ लाश पड़ी थी, वहीं दस-बारह औरतें बैठी थीं। तीन फुट चौड़े गलियारे में मुश्किल
से पाँच-छः व्यक्तियों के बैठने की जगह थी। रिश्तेदार, पड़ोसी व अन्य आते और चले
जाते। अंदर रोना-पीटना मचा हुआ था।
गली भी तंग थी। कोई कहीं खड़ा था, कोई कहीं बैठा था। ऊपर से
बेहद गर्मी और उमस। दोनों साढ़ू भीतर गए, दस-पंद्रह मिनट लाश के पास बैठे। साली से
अफसोस प्रकटाया और फिर बाहर आ गए। बहनें बहन के पास बैठी रहीं। अभी दस बजे थे।
दिल्ली से मृतक के भाई के आने पर ही दो बजे संस्कार होना था। बाहर खुली सड़क पर
पहुँच कर ही उन्होंने खुलकर सांस लिया।
“चल यार! शेव ही करवा लें।” नाई की दुकान देख कर छोटे
साढ़ू ने कहा। एक शेव करवाता रहा, दूसरा अखबार पढ़ता रहा। घर से सुबह अँधेरे चलने
के कारण अखबार भी नहीं देख सके थे। आधे घंटे के बाद वे फिर फ्री थे।
“चल यार! कुछ पेट-पूजा करके आएँ। सुबह का बस चाय का कप ही
पीया है…।” बाज़ारों की रौनक देखते
हुए वे मेन बाज़ार में पहुँच गए। धूप सूइयों की तरह चुभ रही थी।
“बहुत बुरे फँसे यार! किस वक्त दो बजेंगे।” छोटा बोला।
“दो बजे का भी क्या पता है! गाड़ी लेट भी हो सकती है।” बड़े ने शंका व्यक्त की।
अचानक छोटा साढ़ू बड़े के कान के पास मुँह करके धीरे से
बोला, “बीयर न पीएं एक-एक?”
“कमाल करता है सहगल तू भी। बारात में तो नहीं आए!” बड़ा गुस्से में बोला।
“देखो सभरवाल सा'ब! जो कुछ होना
था वह तो हो गया। अब आदमी तो वापस आने से रहा…अपने कुछ खाने-पीने से तो कोई फर्क
पड़ेगा नहीं।”।
“नहीं यार! अच्छा नहीं लगता…और किसी ने देख लिया तो?”
“देखने को अपने कोई पीछे लगा हुआ है। यहाँ शहर में अपने को
कौन जानता है।”
“नहीं यार! मुझे ठीक नहीं लगता।” बड़े ने कहा तो छोटा चुप
कर गया। थोड़ी देर वे चुपचाप चलते रहे। वापस घर मुड़ने के ख़याल से वे घबरा से गए।
बड़े ने घड़ी देखी, अभी ग्यारह बजे थे।
अचानक सामने बीयर-बार का बड़ा-सा बोर्ड दिखा। बोर्ड पर झाग
से भरे मग को हाथ में पकड़े बड़ी-बड़ी मूँछों वाले आदमी की तस्वीर देख बड़ा बोला, “चल यार, देखी जाएगी!…” और दोनों साढ़ू इधर-उधर
देखते हुए नज़र बचा कर ‘बार’ में घुस गए।
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