Monday, 10 December 2012

स्वागत



डॉ श्याम सुन्दर दीप्ति

वह खाना खा, नाइट-सूट पहन, बैड पर जा बैठी। आदत अनुसार, सोने से पहले पढ़ने के लिए किताब उठाई ही थी कि उसके मोबाइल-फोन पर एस.एम.एस की ट्यून बजी।
‘जिस तरह हम दिन भर इकट्ठे घूमे-फिरे, एक टेबल पर बैठ कर खाया। कितना मज़ा आया। इसी तरह एक ही बैड पर सोने में भी खुशी मिलती है। इंतज़ार कर रहा हूँ।’
उसने कुछ दिन पहले ही एक नई कंपनी में नौकरी शुरू की थी। एक सीनीयर अफसर के साथ कंपनी के काम से दूसरे शहर में आई थी। दिन का काम निपटा कर वे एक होटल में ठहरे हुए थे।
‘ऐसा बेहूदा मैसेज! सीनीयर की तरफ से। उसने पल भर सोचा– नहीं, नहीं, इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। बात अभी ही सँभालनी चाहिए। मैं एम.डी. से बात करती हूँ।’ उसे गुस्सा आ रहा था। इसी दौरान फिर मैसेज आया।
‘तुम शिकायत करने के बारे में सोच रही हो। तुम जिसे भी शिकायत करोगी, उसने भी यही इच्छा ज़ाहिर करनी है। तुम्हारे संपर्क में जो भी आएगा, वह ऐसा कहे बिना नहीं रह सकेगा। तुम चीज ही ऐसी हो।’
‘मैं चीज हूँ, एक वस्तु। मुझे लगता है, इसका किसी लड़की के साथ पाला नहीं पड़ा।’ उसका गुस्सा बढ़ता जा रहा था। एक बार फिर एस.एम.एस. आया।
‘देखो! जिन हाथों को छूने से खुशी मिलती है, उन हाथों से थप्पड़ भी पड़ जाए तो कोई बात नहीं। इंतज़ार कर रहा हूँ।’
इसकी हिम्मत देखो…‘इंतज़ार कर रहा हूँ’। फिर उसके मन में एक ख़्याल आया, अगर वह आ गया तो?…डरने की क्या बात है। उसने अपने आप को सहज करने की कोशिश की। यह एक अच्छा होटल है। ऐसे ही थोड़ा कुछ घट जाएगा।
वह ख़्यालों में डूबी थी कि बैल हुई। उसने सोचा, वेटर होगा। उसने चाय का आर्डर दे रखा था। दरवाजा खोला तो अफसर सामने था। वह अंदर आ गया। कल्पना ने भी कुछ न कहा।
वह बैड के आगे से घूमता हुआ, दूसरी तरफ बैड पर सिरहाने के सहारे बैठ गया।
सर! आप कुर्सी पर बैठो, आराम से।कल्पना ने सुझाया।
यहाँ से टी.वी. ठीक दिखता है।अफसर ने अपनी दलील दी।
सर! अभी वेटर  जाएगा। अजीब सा लगता है।कल्पना ने मन की बात रखी।
नहीं, नहीं, कोई बात नहीं। ये सब मेरे जानकार हैं। बी कंफर्टेबल।
वेटर ने दरवाजा खटखटाया और ‘यैस’ कहने पर भीतर आ गया। वेटर ने चाय की ट्रे रखी और पूछा, मैम! चाय बना दूँ?और ‘हाँ’ सुनकर चाय बनाने लगा।
कल्पना ने फिर कहा, सर! आप इधर आ जाओ, चाय पीने के लिए। कुर्सी पर आराम से पी जाएगी।
वह कुर्सी पर आने के लिए उठा। कल्पना भी उठी। वेटर ने चाय का कप ‘सर’ को पकड़ाने के लिए आगे किया ही था कि कल्पना ने खींच कर एक तमाचा अफसर के गाल पर मारते हुए कहा, गैट आउट फ्रोम माई रूम।
और फिर एक पल रुक कर बोली, आपका ऐसा स्वागत मैं दरवाजे पर भी कर सकती थी। पर सोचा, इस होटल के सारे वेटर आपके जानकार हैं, उन्हें भी पता चलना चाहिए।
इतना कहकर वह सहज होकर बैठ गई।
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