Tuesday, 19 June 2012

स्टेट्स


                      
डॉ. बलदेव सिंह खहिरा

रिंपल अपने छोटे भाई की शादी में अपने गाँव आई हुई थी। दुख-सुख करते माँ को पता ही न चला कि घर के काम-काज तथा नौकरी के कारण लड़की परेशान है। वापसी वाले दिन माँ की आवाज सुन रिंपल व उसका पति बाहर आ गए।
रिंपी! यह अपने घुद्दू सीरी की छोटी बेटी है। इसी साल पाँचवीं जमात पास की है।
अच्छा!रिंपी फुलकारी वाला दुपट्टा तह करते हुए बोली।
माँ-बाप ने इसे आगे तो पढ़ाना नहीं, शायद शादी के बारे में विचारने लगें…।
हाँ, यही कुछ होता है इनके।
मैंने मुश्किल से इसकी माँ को मनाया है, तू दो-चार साल इसे अपने पास रख ले, तेरे साथ काम करवा देगी।
लड़की की आँखें किसी उम्मीद से चमक उठीं।
पर माँ! इसका रंग तो देख कितना काला है…सब लोग क्या कहेंगे!वह दबी आवाज में बोली।
रिंपल का पति अपने आप को न रोक सका, यह जो शादी में दो दिन खाते-पीते रहे हैं, इनके हाथों का तो खाते रहे हैं, इसे क्या हुआ है?…चंगी-भली है…तंदरुस्त है।
रिंपल बुरा-सा मुँह बनाते हुए बोली, शादी के अवसर पर सबके साथ एक-आध दिन चल गया…वहाँ शहर में…किट्टी-पार्टी में तो मेरी सहेलियों ने इसके हाथ से पानी भी नहीं पीना…आखिर मेरे स्टेट्स का सवाल है।
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