Monday 26 December 2011

सबूत


सुखदेव सिंह शांत

पुराने ऋणों को ब्याज में कुछ छूट देकर वसूल करने की मुहिम चल रही थी। इस संबंधी विशेष मीटिंगें हो रही थी।
ऐसी ही एक मीटिंग में एक गरीब और बुजुर्ग कर्ज़दार पेश हुआ।
हाँ बाबा, बताओ तुम इतने वर्षों से पैसे क्यों नहीं चुका सके?अधिकारी ने सवाल किया ताकि ब्याज में छूट के लिए कोई कारण ढूँढ़ सके।
साब जी! पहले तो मेरा जवान बेटा चला गया और फिर मुझे एक बीमारी ने दबोच लिया। घर में और कोई कमाने वाला नहीं था।
अधिकारी ने बुजुर्ग के फटे-पुराने वस्त्रों को गौर से देखा और ज़रद पड़ गए झुर्रिदार चेहरे से कहा, बाबा, तुम्हारे पास बीमारी का कोई सबूत है तो दिखाओ।
बुजुर्ग ने अपनी कमीज़ ऊपर उठाई। पेट पर लगे हुए टाँकों के निशान दिखाता हुआ वह बोला, साब जी! यह देखो, मेरा तो बहुत बड़ा आपरेशन हुआ। पंद्रह-बीस टाँके लगे थे।
अधिकारी झुँझलाकर बोला, बाबा, कमीज़ नीचे कर। हमें तो डॉक्टर का सर्टीफिकेट चाहिए, टाँके चाहे न लगे हों।
और बुजुर्ग को डॉक्टर का सर्टीफिकेट पेश करने के लिए आगे की तारीख दे दी गई।
                             -0-

1 comment:

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

तीखा प्रहार.... जोरदार कथा.... सादर बधाई और
नूतन वर्ष की सादर शुभकामनाएं