अश्वनी शोख
‘स्कूल शिक्षा बोर्ड’ की ओर से आए वार्षिक परीक्षा के पेपरों की टेबल-मार्किंग हो रही थी। वह एक के बाद एक, तेज गति से पेपर-मार्क कर रहा था। जल्दी ही उसने पेपरों का एक बंडल खत्म कर दूसरा शुरू कर लिया।
“सर जी! मैंने आप की प्रवीणता-तरक्की के बकाये का बिल बना दिया है, आप जरा नज़र मार लेते।” स्कूल के क्लर्क ने आकर उसकी मार्किंग गति में बाधा डालते हुए कहा।
“ओ यार कुलवंत! यह बकाया के बिलों का काम बड़े ध्यान से करने वाला होता है। यह काम हम कल करेंगे। आज मैं अपनी ऐनक घर भूल आया।”
इतना कह वह फिर उसी गति से पेपर-मार्क करने में जुट गया।
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