Saturday, 11 June 2011

सनसनीख़ेज़ ख़बर


अणमेश्वर कौर

वह सूखे की मार में आए क्षेत्रों की रिपोर्ट तैयार करने गया था। कहीं भी ज़िंदगी का नामो-निशान नज़र नहीं आ रहा था। सब ओर झोंपड़ियों में सन्नाटा छाया था। वह रिपोर्ट तैयार करने के लिए इधर-उधर भटक रहा था। लेकिन लोग अपने घरों व जानवरों को छोड़ कर जा चुके थे। सूरज ढ़ल रहा था। अचानक उसे किसी के रोने की आवाज़ सुनाई दी।
उसने एक झोंपड़ी में झाँक कर देखा। अंदर अँधेरा था। उसने टार्च जलाई। भीतर एक बूढ़ा चटाई पर पड़ा ‘पानी-पानी’ पुकार रहा था। पास ही बैठी बूढ़ी औरत रिपोर्टर को अंदर आया देख मदद की गुहार लगाने लगी। शायद परिवार के शेष लोग उन्हें अकेले ही सूखे से निपटने के लिए छोड़ गए थे।
पत्रकार बूढ़े को घसीट कर झोंपड़ी से बाहर ले आया। भूख-प्यास के बावजूद, बूढ़ी के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई। उसने सोचा, शायद वह कुछ मदद करेगा। पर यह क्या! उसने अपने बैग में से कैमरा निकाला और लगा अलग-अलग  एंगल्ज से फोटो खींचने।
बाबू जी, पानी पिला दें, थोड़ा सा पानी। नहीं तो मेरा आदमी मर जाएगा, कल का प्यासा है।
माई! सूरज ढ़ल गया तो फोटो नहीं खींच पाऊँगा। मैंने आज ही सूखे की रिपोर्ट तैयार करके भेजनी है, फोटो के साथ।
मैने तो सोचा था कि बाहर लाए हो, पानी पिआओगे।
रिपोर्टर खुश था। उसे आज सबसे बढ़िया फोटो मिल गई थी। वह उनकी बिना कोई मदद किए, मुस्कराता हुआ गाड़ी में बैठ गया। हमेशा की तरह इस बार भी सनसनीख़ेज़ ख़बर लेकर।
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2 comments:

RAJNISH PARIHAR said...

yahi hai aaj ki sachchai !!!!its rtue!!!!

Patali-The-Village said...

आजकल के हालातों पर अच्छा व्यंग | धन्यवाद|