इकबाल दीप
“और जनाब, आपकी तरफ हालात कैसे हैं?” प्रिंसिपल शर्मा ने शहर के मध्य में स्थित स्कूल के प्राचार्य को उत्सुकता से फोन पर पूछा। प्रिंसिपल शर्मा का स्कूल यद्यपि शहर से बाहर है, परंतु समाचार तो हवा के कंधों पर सवार होकर पहुँच ही जाते हैं। बसों की तोड़फोड़, दुकानें बंद, स्कूल-कालेज बंद।
“हालात आपसे छुपे हैं क्या शर्मा साहब!… कालेज के लड़के ‘मंडल कमिशन हाए-हाए’ करते हुए आते दिखाई दिए तो अन्य स्कूलों की तरह हमें भी छुट्टी करनी पड़ी।” प्राचार्य आर.पी. सिंह निश्चिंत हो बता रहे थे, “कौन तुड़वाए शीशे, फर्नीचर!”
“सिंह साहब, कालेज के लड़कों को हमारे स्कूल का रास्ता भी बता दो।” प्रिंसिपल शर्मा ने ‘ही-ही’ करते हुए विनती की।
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