Friday, 14 August 2009

इज्जत


अवतार सिंह बिलिंग


दलित लड़के की लंबरदार की कालेज पढ़ती लड़की को भगा ले जाने की हिम्मत कैसे हुई?गाँव में हाहाकार मच गई। गाँव के बड़े आदमी की इज्जत का सवाल था।

बड़ी भाग-दौड़ के पश्चात लड़की बरामद कर ली गई। तब पंचायत की बड़ी सभा की गई।

गोली मारो साले को, चौराहे में खड़ा करके!

कुत्तों से पड़वा दो इस कंजर को!

मुँह काला करो, इस कपूत का…और जलूस निकालो इसका, गधे पर बैठा कर।

चारों तरफ से थू-थू, छि:-छि: की आवाज़ें आ रही थीं।

तेरी दाढ़ी क्यों न जला दी जाए, कंजर लंबड़ा?…याद नहीं तुझे?…जब खेत में गई एक विधवा माँ को तू बाँह से पकड़ कर मक्का में ले गया था।

चार व्यक्तियों की भुजाओं में जकड़े दाँत पीसते लड़के ने लंबरदार के मुख पर थूक दिया।

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6 comments:

M VERMA said...

बहुत बढिया. शिल्प प्रभावशाली

Anonymous said...

ਵਧਿਆ

निर्मला कपिला said...

bahut sundar laghu kathaa badhai

Unknown said...

jai hind !

Unknown said...

एक बेहतरीन लघुकथा के लिए बधाई।

Unknown said...

रचना अच्छी लगी,बधाई.