जसबीर बेदर्द लंगेरी
“माँ, मैं जाटों के घर लस्सी लेने गई थी। उनका बीरू कह रहा था कि हमारे देश ने बहुत तरक्की कर ली है। जो रेलगाड़ी हमारे गाँव से गुजरती है, वह अब कोयले से नहीं तेल से चलेगी। और यह भी कह रहा था कि बिजली से भी गाड़ियाँ चल पड़ीं।” लड़की बिंदू ने यह खबर बड़ी खुश होकर अपनी माँ को सुनाई।
“खाक तरक्की की है देश ने! जट्ट तो पहले ही खेत में घुसने नहीं देते, चार कोयले उठा कर चूल्हा गर्म कर लेते थे। अब पता नहीं कहाँ-कहाँ हाथ छिलवाने पड़ेंगे काँटों से।” चूल्हे को गर्म रखने की फिक्र में ये बोल चिन्ती के मुँह से खुद-ब-खुद निकल गए।
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